festival-ram-navmi

रामनवमी हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर मार्च या अप्रैल महीने में पड़ती है। आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी भगवान राम के जन्मोत्सव से जुड़ी बेहद खास जानकारी लेकर प्रस्तुत है| साल 2025 में, रामनवमी 6 अप्रैल, रविवार को मनाई जाएगी।

रामनवमी का पौराणिक महत्व,

हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार, त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों से पृथ्वी को मुक्त कराने और धर्म की स्थापना के लिए भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में अवतार लिया। अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पुत्र के रूप में, श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी को कर्क लग्न और पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था।

भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने अपने जीवन में सत्य, धर्म और न्याय के आदर्शों का पालन किया। उनकी कथा रामायण में वर्णित है, जो हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण महाकाव्य है।

रामनवमी का ज्योतिषीय महत्व,

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, रामनवमी के दिन ग्रहों की विशेष स्थिति होती है। कहा जाता है कि श्रीराम का जन्म कर्क लग्न में हुआ था, जो चंद्रमा द्वारा शासित है और भावनाओं, करुणा और पालन-पोषण का प्रतीक है। इस लग्न में जन्म लेने वाले व्यक्ति संवेदनशील, दयालु और परिवार के प्रति समर्पित होते हैं।

पुनर्वसु नक्षत्र, जिसमें श्रीराम का जन्म हुआ, बृहस्पति ग्रह द्वारा शासित है। यह नक्षत्र शुभता, समृद्धि और पुनर्जन्म का प्रतीक है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति धार्मिक, सत्यनिष्ठ और ज्ञानवान होते हैं।

रामनवमी के दिन, सूर्य मेष राशि में स्थित होता है, जो ऊर्जा, नेतृत्व और साहस का प्रतीक है। इस दिन किए गए धार्मिक अनुष्ठान और पूजा विशेष फलदायी माने जाते हैं, क्योंकि ग्रहों की यह स्थिति सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है।

रामनवमी की पूजा विधि

रामनवमी के दिन भक्तगण विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। पूजा की विधि इस प्रकार है:

स्नान और शुद्धिकरण: प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।

मंडप स्थापना:
घर के पूजा स्थल पर भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की मूर्तियों या चित्रों को स्थापित करें।

कलश स्थापना: एक तांबे या मिट्टी के कलश में जल भरकर, उसके ऊपर नारियल रखें और आम के पत्तों से सजाएं। इसे पूजा स्थल पर रखें।

पूजा सामग्री:

रोली, अक्षत (चावल), फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), तुलसी दल, पंचामृत आदि तैयार रखें।

भगवान राम की पूजा का संकल्प लें और व्रत का पालन करने का निश्चय करें।

भगवान राम का ध्यान करें और मंत्रों द्वारा उनका आवाहन करें।

मूर्तियों को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से स्नान कराएं, फिर स्वच्छ जल से धोकर वस्त्र अर्पित करें। मूर्तियों को वस्त्र, आभूषण और फूलों से सजाएं। भगवान राम की आरती करें और भजन-कीर्तन करें। पूजा के पश्चात प्रसाद बांटें और भक्तों में वितरित करें।
रामनवमी के दिन व्रत रखने का विशेष महत्व है। भक्तगण सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं और भगवान राम की पूजा में लीन रहते हैं। कहा जाता है कि इस व्रत के पालन से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। व्रतधारी दिन भर फलाहार करते हैं और रात में पूजा के बाद भोजन ग्रहण करते हैं।

रामनवमी से जुड़े प्रमुख स्थल:

भारत में कई स्थानों पर रामनवमी का पर्व विशेष धूमधाम से मनाया जाता है। कुछ प्रमुख स्थलों में शामिल हैं:

– अयोध्या, उत्तर प्रदेश : भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में रामनवमी का पर्व विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है। यहां सरयू नदी में स्नान, राम जन्मभूमि मंदिर में पूजा और शोभायात्रा का आयोजन होता है|

– रामेश्वरम: यहां स्थित रामनाथस्वामी मंदिर में रामनवमी के अवसर पर विशेष पूजा और अनुष्ठान होते हैं|

– तेलंगाना भद्राचलम मंदिर में रामनवमी के दिन भगवान राम और सीता के विवाह का आयोजन किया जाता है, जिसे ‘कल्याणोत्सव’ कहा जाता है।

होली 2025 कब है: जाने सही तिथि, कौन सी 3 राशियां होंगी भाग्यशाली

Related posts:

पितृ पक्ष 2025 में कब है? जाने तिथि और उपाय

Namak ke upay: नमक रखे इस एक जगह पर, खुल जाएगा किस्मत का ताला

Aditya hriday strot in hindi: जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिलाता है आदित्य हृदय स्त्रोत

तांबे का छल्ला आपको लगातार सफलता दिलाता है

2024 जन्माष्टमी उत्सव 26 या 27, जानिए तिथि, विधि और उपाय

शनि गोचर 2025: सभी राशियों पर क्या पड़ेगा प्रभाव, कौन सी राशि की चमकेगी किस्मत

पैसा नही टिकता तो झटपट करे ये उपाय, दिनोदिन तरक्की, ज्योतिषीय समाधान:

मेष राशिफल मई 2025 | कैरियर और धन के मामले में कैसा होगा

Daalcheeni ke totke: चमत्कारी दालचीनी के टोटके तुरंत धन के योग (Astrology Remedies with Cinnamon)

शनि की महादशा और साढ़ेसाती क्या है और क्या है उपाय

मई 2025 में शनि की ढैया कौन सी राशियों पर पड़ेगा प्रभाव?

Diwali 2024:  कौन सी सही तिथि 31 या 1 को ? सही तिथि, मुहूर्त, ज्योतिषीय उपाय और महत्त्व